मुनव्वर राना उर्दू के उन शायरों में से एक हैं जिन्होंने अपनी शायरी, ग़ज़ल, नज़्म और कविताओं से हर किसी के दिल को छुआ है. उन्होनें मां और बच्चे के पवित्र रिश्ते, मां का प्रेम और करुणा के एहसास को अपनी कविताओं के जरिये बयां किया है. ना जाने कितनी उम्दा शायरियों को उन्होंने अपने कलम के जरिये कागज पर उकेरा है. दुनिया को अपनी रचनाएं तोहफे में देने के बाद 71 साल की उम्र में उनका निधन हो गया है. आज हम इस मशहूर शायर की याद में उन रचनाएं को पढ़ेंगे जो उनको पढ़ने वालों के दिल में बसीं हुई हैं.
ख़बरों के मुताबिक 14 जनवरी, 2024 रविवार को देर रात 71 वर्ष की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से जाने माने उर्दू शायर मुन्नवर राणा का देहांत हो गया। वो लम्बे समय से बीमार चल रहे थे। मुनव्वर राणा एक प्रसिद्ध भारतीय उर्दू शायर थे, अपनी प्रभावी और भावनात्मक उर्दू शायरी के लिए जाने जाते थे। राणा की उर्दू शायरी उनके जीवन के व्यक्तिगत अनुभवों और संघर्षों से प्रेरित थी, और यही वजह है उनकी शायरी को सुनने वाले देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी हैं।
Munawwar Rana : शिक्षा और प्रारंभिक जीवन :
मुनव्वर राणा (Munawwar Rana) का जन्म 26 नवंबर 1952 को रायबरेली, उत्तर प्रदेश, में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गृहनगर में ही प्राप्त की। बाद में वह कोलकाता चले गए वहाँ कोलकाता विश्वविद्यालय से उर्दू साहित्य में शिक्षा प्राप्त की। मुनव्वर राणा को उर्दू शेर शायरी का शौक कम उम्र में ही शुरू हो गया था। मिर्ज़ा ग़ालिब और फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ उनके पसंदीदा शायर थे।
Munawwar Rana : एक उर्दू शायर :
1980 के दशक में (Munawwar Rana) मुनव्वर राणा ने मुशायरों (कविता संगोष्ठियों) में भाग लेकर एक उर्दू शायर की रूप में अपनी पहचान बनाई । उर्दू शेर पढ़ने की उनकी अपनी एक अलग शैली थी, जिससे उन्हें राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय मंचो पर जबरदस्त लोकप्रियता मिली। देश में ही नहीं विदेशों से भी उन्हें शेरोशायरी के कार्यक्रमों में बुलाया जाने लगा।
उनकी सबसे लोकप्रिय कविता 'माँ' थी, जिसमें पारंपरिक ग़ज़ल रूप में माँ के गुणों का जश्न मनाया गया था। साहित्य के क्षेत्र में उनके काम के लिए उन्हें कई सम्मान मिले, जिनमें उनकी काव्य पुस्तक 'शाहदाबा' के लिए 2014 में प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कार भी शामिल है।
ऐसा लगता है Munawwar Rana अपनी माँ के बहुत ही करीब थे अपनी शायरी में उन्होंने माँ का जिक्र बड़े ही भावनात्मक ढंग से किया कुछ शेर जो बहुत लोकप्रिय हुए -
" किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आईमैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई "
" जब तक रहा हूँ धुप में चादर बना रहा
मैं अपनी माँ का आखिरी जेवर बना रहा "
मैं अपनी माँ का आखिरी जेवर बना रहा "
" लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती
बस एक माँ है जो मुझसे खपा नहीं होती "
बस एक माँ है जो मुझसे खपा नहीं होती "
" ऐ अँधेरे ! देख ले मुँह तेरा काला हो गया
माँ ने आँखे खोल दी घर में उजाला हो गया "
माँ ने आँखे खोल दी घर में उजाला हो गया "
" ऐ ऐसा कर्ज है जो मैं अदा कर नहीं सकता
मैं जब तक घर न लौटूँ मेरी माँ सजदे में रहती है "
मैं जब तक घर न लौटूँ मेरी माँ सजदे में रहती है "
" मुनव्वर माँ के आगे कभी खुलकर नहीं रोना
जहाँ बुनियाद हो इतनी नमी अच्छी नहीं होती "
जहाँ बुनियाद हो इतनी नमी अच्छी नहीं होती "
Munawwar Rana (मुनव्वर राणा) की शायरी में मानवीय अनुभवों का स्पष्ट और भावनात्मक चित्रण था। उनका लेखन अक्सर प्यार, नुकसान और आम आदमी के संघर्ष पर था। उसकी कविता ने सांप्रदायिक सद्भाव और सामाजिक न्याय के मुद्दों को अक्सर उठाया, जो भारत की सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियों को चित्रित करता था। राणा की शायरी में लोगों को प्रेरित करने और समाज में बदलाव लाने की सामर्थ्य थी।
" मुमकिन है हमें गाँव भी पहचान न पाए
बचपन में ही हम गाँव से कमाने निकल आये "
बचपन में ही हम गाँव से कमाने निकल आये "
" झुक के मिलते हैं बुजुर्गों से हमारे बच्चे
फूल पर बाग की मिट्टी का असर होता है "
फूल पर बाग की मिट्टी का असर होता है "
" सो जाते हैं फुटपात पर अख़बार बिछाकर
मजदूर कभी नींद की गोली नहीं खाते "
" तमाम उम्र एक दूसरे से लड़ते रहे
मर गए तो बराबर में जाके लेट गए "
" मुहाजिर हैं मगर हम एक दुनिया छोड़ आये हैं
तुम्हारे पास जितना है हम उतना छोड़ आये हैं "
तुम्हारे पास जितना है हम उतना छोड़ आये हैं "
मुनव्वर राणा उत्तर प्रदेश की राजनीति में भी बहुत सक्रिय थे क्योंकि उनकी बेटी सुमैया समाजवादी पार्टी की सक्रिय सदस्य हैं और अखिलेश यादव के नेतृत्व उत्तरप्रदेश में राजनीती करती हैं।
वह अक्सर अपनी विवादित टिप्पणियों को लेकर सुर्खियों में रहते थे। हाल ही में उन्होंने तालिबान का पक्ष लिया था और उसकी तुलना महर्षि वाल्मिकी से की थी।
वह पेरिस 2020 में पैगंबर मोहम्मद को लेकर हुए विवाद पर सैमुअल पैटी की हत्या के समर्थन में दिखे थे।
मुनव्वर राणा के बेटे को अगस्त 2021 में रायबरेली पुलिस ने अपने चाचा और चचेरे भाई को फंसाने के लिए जून में खुद के खिलाफ गोलीबारी कराने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त करते हुए कहा -
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने Munawwar Rana (मुनव्वर राणा) के निधन पर अपनी संवेदनाएं व्यक्त करते हुए कहा - "श्री मुनव्वर राणा के निधन पर दुःख हुआ उन्होंने उर्दू साहित्य और कविता में समृद्ध योगदान किया। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना उनकी आत्मा को शांति मिले। "
- पीएम नरेंद्र मोदी
जावेद अख्तर हुए जनाजे में शामिल
Munawwar Rana (मुनव्वर राणा) के जनाजे में शामिल होने आये जावेद अख्तर ने कहा " शायरी और उर्दू का यह एक बड़ा नुकसान है... मुझे इसका बेहद अफसोस है। यह नस्ल एक-एक करके जा रही है और इसकी भरपाई नहीं हो पाएगी उनकी कमी हमेशा खलेगी... उनकी शायरी प्रेरक है उनके लिखने का अपना अंदाज था। "
- जावेद अख्तर
गंगा जमुनी तहजीब का नुमायन्दा इस दुनिया से हमेशा के लिए रुखसत हो गया।
अलविदा मुनव्वर राणा
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